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Tuesday, June 17, 2025

Ashoka University के Professor Ali Khan Mahmoodabad को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, ‘डॉग व्हिस्लिंग’ और ‘सस्ती पब्लिसिटी’ के आरोप में फटकार

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को Ashoka University के Professor Ali Khan Mahmoodabad को Operation Sindoor पर controversial comment मामले में अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन साथ ही उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई। अदालत ने उनके बयान की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये “डॉग व्हिस्लिंग” है और सिर्फ “सस्ती पब्लिसिटी” पाने की कोशिश है।

Professor Mahmoodabad को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। उनके बयान को सेना के खिलाफ और महिला अधिकारियों — Colonel Sophia Qureshi और Wing Commander Vyomika Singh— का अपमान माना गया, जिन्होंने Operation Sindoor को लेकर मीडिया को जानकारी दी थी।

Justice Suryakant और Justice NK Singh की बेंच ने Haryana पुलिस को निर्देश दिया कि 24 घंटे के भीतर एक विशेष जांच दल (SIT) बनाया जाए। कोर्ट ने यह साफ किया कि यह SIT Haryana या Delhi की पुलिस से न हो और इसमें एक महिला अधिकारी अनिवार्य रूप से शामिल हो।

कोर्ट ने कहा, “आप एक प्रोफेसर हैं, समाज के मार्गदर्शक माने जाते हैं, ऐसे में इस तरह की टिप्पणी न सिर्फ गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि समाज में भ्रम फैलाने वाली भी है।”

Professor Ali Khan Mahmoodabad के सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर देशभर में बवाल मच गया था। उनकी पोस्ट को सेना की छवि को धूमिल करने और Operation Sindoor की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला माना गया।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उन्हें राहत दी है, लेकिन जांच जारी रहेगी। कोर्ट ने केस को गंभीर मानते हुए कहा कि “सिर्फ प्रोफेसर होना आपको मनमाने बयान देने का लाइसेंस नहीं देता।”

इस पूरे मामले ने देशभर में बहस छेड़ दी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की सीमा कहां खत्म होती है और देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में कितनी जिम्मेदारी दिखानी चाहिए।

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