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Sunday, October 26, 2025

सरकार के आदेश से थमा जीवन का स्रोत: बाड़मेर में नरेगा टांकों पर रोक से भड़के ग्रामीण

सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत टांका निर्माण पर रोक लगाई, जिससे बाड़मेर के ग्रामीणों में नाराजगी और जल संकट की चिंता बढ़ी।

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रेतीले मरुस्थल में पानी की हर बूंद अनमोल होती है, और बाड़मेर जिले के लोगों के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बने पानी के टांके जीवन की धारा हैं। ये टांके न केवल वर्षा जल को संजोकर पेयजल, पशुपालन और खेती की जरूरतें पूरी करते हैं, बल्कि हजारों ग्रामीणों के लिए रोजगार का भी प्रमुख साधन रहे हैं। लेकिन दीपावली के दिन जारी एक सरकारी आदेश ने इस उम्मीद के स्रोत पर अचानक रोक लगा दी।

राजस्थान के पश्चिमी छोर पर बसे बाड़मेर में जहां रेत के धोरों के बीच ढाणियों तक टैंकरों का पहुंचना मुश्किल है, वहीं नरेगा के तहत बने लाखों टांकों ने ग्रामीणों की जिंदगी आसान बना दी थी। बरसात के मौसम में इन टांकों में जमा पानी सालभर तक गांवों की जरूरतों को पूरा करता है। बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि पहले 10 से 15 किलोमीटर दूर से घड़े और ऊंटों के जरिए पानी लाना पड़ता था, लेकिन अब घर के पास ही पानी मिलने से उनका जीवन बदल गया।

सरकार के आदेश ने हालांकि इस व्यवस्था पर ब्रेक लगा दिया है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने नरेगा के तहत टांका निर्माण पर रोक लगाई है, जिससे बाड़मेर, जैसलमेर और जालौर के ग्रामीण इलाकों में नाराजगी फैल गई है।

विपक्ष का हमला, जनता में रोष

सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है। बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने इस आदेश को “आमजन की पीठ में खंजर” बताया, जबकि बायतु विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि यह कदम “रेगिस्तान के लोगों की जीवनरेखा पर प्रहार” है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने निर्णय वापस नहीं लिया, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

सरकार की सफाई

वहीं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने सफाई देते हुए कहा कि टांका निर्माण में भ्रष्टाचार की कई शिकायतें मिली थीं। इन मामलों की जांच चल रही है और जांच पूरी होते ही टांका निर्माण दोबारा शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से धैर्य रखने की अपील की, लेकिन सरकार की इस सफाई से ग्रामीणों की चिंता कम नहीं हुई है।

ग्रामीणों की पुकार

दूरस्थ ढाणियों में रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि नरेगा टांके केवल पानी का स्रोत नहीं हैं, बल्कि उनकी जीविका का भी सहारा हैं। इनमें पानी संग्रहित कर वे अपने मवेशियों को बचाते हैं, छोटे खेतों की सिंचाई करते हैं और खुद को जल संकट से दूर रखते हैं। अब जब टांका निर्माण पर रोक लग गई है, तो उन्हें आने वाले गर्मी के मौसम में भीषण जल संकट की आशंका सता रही है।

ग्रामीणों ने सरकार से नरेगा योजना के तहत टांका निर्माण को तुरंत बहाल करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर यह काम बंद रहा, तो रेगिस्तान में जीवन की डोर टूट जाएगी।

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