पश्चिम बंगाल में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के कारण अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक संदिग्ध मामले की भी खबर है। मरने वालों में उत्तर 24 परगना जिले के 10 वर्षीय बच्चे और 17 वर्षीय युवक शामिल हैं। वहीं, हुगली जिले के 48 वर्षीय व्यक्ति की भी संदिग्ध हालात में मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के मामलों पर नजर बनाए हुए है।
दो मरीजों की मौत, एक संदिग्ध मामला
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 10 वर्षीय बच्चा उत्तर 24 परगना जिले के जगतदल का रहने वाला था। उसे कोलकाता के बीसी रॉय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान रविवार को उसकी मौत हो गई।
वहीं, इसी जिले के 17 वर्षीय युवक की मौत सोमवार सुबह एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई। डॉक्टरों के मुताबिक, उसे सेप्टिक शॉक और myocarditis जैसी समस्याएं थीं। हालांकि, उसकी मौत का असली कारण अभी जांच के अधीन है।
इसके अलावा, हुगली जिले के धनियाखाली के 48 वर्षीय व्यक्ति की भी संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई। उसे चार दिन से दस्त की शिकायत थी, और धीरे-धीरे उसका शरीर काम करना बंद कर रहा था। उसे अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
पुणे में भी दिखा असर
कोलकाता में GBS के मामले तब सामने आए हैं जब महाराष्ट्र के पुणे में भी इस बीमारी के कई मरीज मिले हैं। महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, पुणे में दूषित पानी इस बीमारी के फैलने का कारण हो सकता है।
क्या है गिलियन-बैरे सिंड्रोम?
गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की डिफेन्स सिस्टम खुद की नसों पर हमला करने लगती है। इससे कमजोरी, सुन्नपन और चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है। गंभीर मामलों में मरीज को सांस लेने में परेशानी हो सकती है, और समय पर इलाज न मिलने पर मौत भी हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। राज्य सरकार इस बीमारी की निगरानी कर रही है और सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
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