अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक एआई-जनित वीडियो पोस्ट कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस वीडियो में गाज़ा को एक शानदार रिसॉर्ट के रूप में दिखाया गया है, जहाँ अमेरिकी और इजरायली नेता समुद्र तट पर आराम कर रहे हैं। वीडियो में एक सुनहरे ट्रंप की मूर्ति, अरब नृत्य करते एलन मस्क और अमेरिकी डॉलर की बारिश जैसी असाधारण चीज़ें दिखाई गई हैं। वीडियो के साथ बज रहे गीत में कहा गया है, “डोनाल्ड आए, अब सब आज़ाद, ट्रंप गाज़ा चमकेगा, नया भविष्य जगमगाएगा।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Trump ने गाज़ा में रह रहे 21 लाख फिलिस्तीनियों को हटाकर इसे अमेरिका के स्वामित्व वाली एक ‘रिवेरा’ में बदलने का प्रस्ताव रखा है। इस योजना को लेकर फिलिस्तीनी नेताओं में भारी नाराजगी है। वेस्ट बैंक स्थित फिलिस्तीनी अथॉरिटी ने इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन” करार दिया है। फिलिस्तीनी विदेश मंत्री वर्सेन अघाबेकियन शाहीन ने कहा, “हमने पहले भी जबरन विस्थापन का सामना किया है, और यह दोबारा नहीं होने देंगे।” उन्होंने 1948 के अरब-इजरायल युद्ध का हवाला दिया, जब लाखों फिलिस्तीनियों को अपने घरों से बेदखल किया गया था।
वीडियो की शुरुआत गाज़ा के खंडहरों में नंगे पांव चलते बच्चों से होती है। फिर, स्क्रीन पर लिखा आता है “अब आगे क्या?” इसके बाद, वही बच्चे गाज़ा के समुद्र तट पर गगनचुंबी इमारतों वाले चमकते शहर की ओर बढ़ते दिखाए जाते हैं। वीडियो में अमेरिका और इजरायल के झंडे लहराते हुए लोग जश्न मनाते नजर आते हैं।
Gaza की हमास-शासित सरकार ने इस वीडियो की कड़ी आलोचना की है। गाज़ा के मीडिया कार्यालय के निदेशक इस्माइल अल-थवाबता ने इसे “अपमानजनक और नस्लवादी” करार दिया। उनके अनुसार, “यह वीडियो फिलिस्तीनियों के अस्तित्व को मिटाने और गाज़ा को खाली जमीन की तरह पेश करने की एक साजिश है।”
Trump की इस विवादित योजना पर अरब देशों में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए शुक्रवार को रियाद में अरब नेताओं की बैठक हुई, जिसमें इसका विरोध किया गया। अगली बैठक 4 मार्च को काहिरा में होगी, जहां इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की इस योजना का समर्थन करते हुए कहा कि इजरायल एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र को कभी स्वीकार नहीं करेगा। हालांकि, यह अभी तक साफ नहीं है कि ट्रंप वास्तव में इस योजना को लागू करने का इरादा रखते हैं या नहीं।
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