भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने दिल्ली सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। यह मामला 571 करोड़ रुपये की सीसीटीवी परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है।
आरोप है कि सत्येंद्र जैन सात करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर मनमाने ढंग से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) पर लगाए गए 16 करोड़ रुपये के लिक्विडेटेड डैमेज (एलडी) को माफ कर दिया। बीईएल पर यह जुर्माना दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.4 लाख सीसीटीवी लगाने में देरी पर लगाया गया था।
सत्येंद्र जैन पर आरोप
एसीबी के प्रमुख मधुर वर्मा के अनुसार, सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने 7 करोड़ रुपए की रिश्वत लेकर 16 करोड़ रुपए के जुर्माने को माफ कर दिया था। यह जुर्माना सीसीटीवी लगाने में देरी के कारण लगाया गया था। हालांकि, जैन ने बिना सक्षम प्राधिकारी से अनुमोदन लिए इस जुर्माने को माफ कर दिया। एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 ए के तहत जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
अतिरिक्त लाभ के लिए रिश्वत का भुगतान किया
अधिकारियों के अनुसार, बीईएल (भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड) को इस परियोजना के तहत 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरों का अतिरिक्त ऑर्डर दिया गया था, बावजूद इसके कि पहले ही कैमरे खराब थे और परियोजना में देरी हो रही थी। आरोप है कि ठेकेदारों ने अतिरिक्त लाभ के लिए रिश्वत का भुगतान किया। साथ ही, विक्रेताओं से जुड़े रिश्वत के भुगतान को छिपाने के लिए परियोजना की लागत को बढ़ाया गया।
PWD और बीईएल के दस्तावेजों की जांच
एसीबी ने पहले ही बीईएल के एक अधिकारी से पूछताछ की है, जिसने आरोपों की पुष्टि की और शिकायत दी है। अब पीडब्ल्यूडी और बीईएल के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से जैन पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है, जो ईडी द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों के आधार पर किया गया था। जैन के खिलाफ एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 (1) (ए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज की गई है।
