पंजाब के खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह जो अभी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में कैद हैं। उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। उन्होंने संसद सत्र में भाग लेने और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने की अनुमति मांगी है।
अपनी याचिका में अमृतपाल सिंह ने तर्क दिया है कि उनकी लंबी अनुपस्थित उनके 19 लाख मतदाताओं को संसद में अपनी बात रखने से रोक रही है। उन्होंने दावा किया कि उनकी नजरबंदी राजनीति से प्रेरित है और उनकी बढ़ती लोकप्रियता को रोकने का इरादा है। मार्च 2023 में अमृतसर के डिप्टी मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए नजरबंदी आदेश को कई बार बढ़ाया जा चुका है।
मार्च 2024 में एक नया नजरबंदी आदेश जारी किया गया जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट और जेल में कथित रूप से अनधिकृत समान पाए जाने जैसे कर्म का हवाला दिया गया। अमृतपाल सिंह ने इन कारणो को कमजोर और और संवैधानिक बताया है।
अमृतपाल सिंह ने यह भी कहा कि उनकी नजर बंदी न केवल उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के अधिकारों का भी उल्लंघन करती है। अपनी याचिका में उन्होंने अदालत से अंतरिम बल और लंबित मामले पर जल्द फैसला लेने की मांग की है।
9 जनवरी को निर्दलीय सांसद और ‘वारिस पंजाबी दे’ के प्रमुख अमृत पाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने अपने बेटे पर गैर कानूनी गतिविधियों और रोकथाम अधिनियम (UPA)लगाने की आलोचना की, इसे जेल में बंद संसद के परिवार को राजनीतिक पार्टी शुरू करने से रोक के लिए एक साजिश कहा गया।
UPA के आरोप के बारे में उनके पिता ने कहा कि, ” अब जब उस पर NSA लगाने की अवधि समाप्त हो गई है, तो उन्होंने पहले ही UPA लगा दिया है। अब जब हम एक राजनीतिक पार्टी शुरू करने की योजना बना रहे हैं तो यह हमें रोकने की साजिश है। उन्होंने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि इससे भगवंत मन की सिख विरोधी मानसिकता उजागर हो रही है। बिना किसी से भूत या जांच के अमृतपाल को बदनाम करने के लिए ऐसी बातें की जा रही है।
फरीदकोट के पुलिस अधीक्षक ने पुष्टि की है की जेल में बंद संसद के खिलाफ UPA लगाया गया है।