बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस में सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन को लेकर हलचल तेज हो गई है। कुछ सीटों पर घटक दलों ने एक-दूसरे के सामने उम्मीदवार उतार दिए, जिससे विपक्षी एकजुटता पर सवाल उठने लगे और मामला ‘इंडिया बनाम इंडिया’ तक पहुंच गया।
इस स्थिति को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता और बिहार चुनाव पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने बुधवार, 22 अक्टूबर को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र एवं नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की। बैठक में ‘फ्रेंडली फाइट’ यानी दोस्ताना मुकाबले का समाधान निकालने और गठबंधन की एकजुटता बनाए रखने पर चर्चा हुई।
बैठक के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि इंडिया अलायंस में फिलहाल सबकुछ ठीक है और कल यानी 23 अक्टूबर को प्रेस वार्ता के माध्यम से सभी बातें स्पष्ट कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा, “तमाम काम बहुत अच्छे से चल रहे हैं। एक-दो दिन में जो भी भ्रम है, वह पूरी तरह दूर हो जाएगा।”
अशोक गहलोत ने यह भी स्वीकार किया कि बिहार की 243 विधानसभा सीटों में कुछ पर ‘दोस्ताना मुकाबला’ बन सकता है, लेकिन इसे महागठबंधन की कमजोरी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया, “कभी-कभी कार्यकर्ताओं में उत्साह होता है और स्थानीय परिस्थितियों के चलते ऐसी स्थिति बन जाती है। इसे लोकतांत्रिक जोश के रूप में देखना चाहिए।”
जानकारी के अनुसार, सीट बंटवारे और स्थानीय समीकरण के कारण महागठबंधन के घटक दल राज्य की कम से कम 11 विधानसभा सीट पर एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं। अशोक गहलोत ने बैठक में यह भरोसा भी दिलाया कि सभी विवाद जल्द सुलझ जाएंगे और गठबंधन एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अशोक गहलोत की यह पहल महागठबंधन के लिए जरूरी है, ताकि विभाजन का नुकसान न हो और एनडीए के मुकाबले विपक्षी दलों की ताकत बरकरार रहे।
