राजस्थान के बारां ज़िले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, राजनीतिक हलचलें तेज़ होती जा रही हैं। शनिवार को कांग्रेस ने एक रणनीतिक कदम उठाते हुए अपने मुख्य उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन का नामांकन बतौर वैकल्पिक प्रत्याशी दाखिल करवाया।
दोपहर में दाखिल हुआ नामांकन
शनिवार दोपहर उर्मिला जैन ने अंता विधानसभा के रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अगर किसी कारणवश प्रमोद जैन भाया का नामांकन रद्द होता है या वह स्वयं नाम वापस लेते हैं, तो कांग्रेस उर्मिला जैन को ही पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी घोषित करेगी। यह कदम कांग्रेस की सुरक्षा रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में सीट पर पार्टी की दावेदारी बनी रहे।
भाजपा प्रत्याशी ने भी दाखिल किया नामांकन
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मोरपाल सुमन ने भी शनिवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया। उनके साथ भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह, जिलाध्यक्ष नरेश सिकरवार और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे। अब स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है—अंता विधानसभा सीट पर मुकाबला दो दिग्गजों, कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया और भाजपा के मोरपाल सुमन के बीच सीधा और कांटे का होने जा रहा है।
जातीय समीकरण बना निर्णायक फैक्टर
अंता सीट का चुनाव पूरी तरह सामाजिक संतुलन पर निर्भर माना जा रहा है। यहां करीब 2.25 लाख मतदाता पंजीकृत हैं। इनमें लगभग 40 हजार मतदाता माली समाज से, 35 हजार अनुसूचित जाति (SC) से और करीब 30 हजार मीणा समुदाय से हैं। इसके अलावा धाकड़, ब्राह्मण, बनिया और राजपूत समुदाय के मत भी अहम भूमिका निभाने वाले हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में माली समाज की बहुलता है, लेकिन मात्र उनके वोट से किसी दल की जीत निश्चित नहीं होती। माली और मीणा वोट बैंक जिस पार्टी के पक्ष में जाता है, जीत आम तौर पर उसी की होती है। जहां भाजपा परंपरागत रूप से माली और शहरी मतदाताओं का समर्थन पाती रही है, वहीं कांग्रेस का झुकाव अनुसूचित जाति और मीणा समुदाय की ओर रहा है।
रणनीति और संभावनाओं का नया गणित
कांग्रेस का यह वैकल्पिक प्रत्याशी वाला कदम पार्टी की आंतरिक सतर्कता की ओर इशारा करता है। प्रमोद भाया कांग्रेस के पुराने और प्रभावशाली नेता हैं, जबकि उर्मिला जैन के मैदान में उतरने से महिला मतदाताओं पर भी असर पड़ सकता है। दूसरी ओर, भाजपा ने मोरपाल सुमन पर भरोसा जताया है, जो स्थानीय स्तर पर सक्रिय और संगठन से गहराई से जुड़े माने जाते हैं।
अंता उपचुनाव इस बार केवल एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि प्रदेश की आगामी राजनीति की दिशा बताने वाला सेमीफाइनल माना जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर मैदान में उतरी हैं। आगामी कुछ हफ्तों में जातीय समीकरण और प्रचार अभियान इस मुकाबले की असली तस्वीर तय करेंगे।
