रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष (2024-25) में 6.5-6.8% की दर से बढ़ सकती है। रिपोर्ट में बताया गया कि घरेलू और विश्वीय चुनौतियों के बावजूद, भारत उच्च मूल्य वाले manufacturing export के जरिए वैश्विक मूल्य series में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
वैश्विक अनिश्चितताओं से दूर रहने की जरूरत
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को वैश्विक आर्थिक अस्थिरताओं से खुद को अलग करते हुए अपनी घरेलू क्षमताओं का उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही, अगले वित्त वर्ष के लिए 6.7-7.3% की उच्च वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। यह सतर्क आशावाद को दर्शाता है, क्योंकि भारत वैश्विक व्यापार और निवेश के उतार-चढ़ाव के बीच अपनी जगह बना रहा है।
उच्च मूल्य वाले निर्यात में भारत का प्रदर्शन
भारत की आर्थिक प्रगति में उच्च मूल्य वाले विनिर्माण निर्यात, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। “मेक इन इंडिया” पहल और अन्य नीतियों ने विनिर्माण और निर्यात को प्रोत्साहित किया है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत नवाचार को बढ़ावा देता है, बुनियादी ढांचे को मजबूत करता है और कौशल अंतराल को पाटता है, तो वह वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।
हालांकि, डेलॉइट ने चेतावनी दी है कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ती ब्याज दरें भारत की इस प्रगति को धीमा कर सकती हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है।

घरेलू बाजार में बड़ी संभावनाएं
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का घरेलू बाजार उसकी आर्थिक स्थिरता का मुख्य आधार हो सकता है। हरित प्रौद्योगिकी, डिजिटल परिवर्तन और बुनियादी ढांचे में निवेश के जरिए भारत अपनी विकास यात्रा को नई दिशा दे सकता है। साथ ही, बढ़ती निजी खपत और निवेश अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने में मदद कर सकते हैं।
सतर्कता के साथ आगे बढ़ने की सलाह
हालांकि अनुमानित विकास दर उत्साहजनक है, लेकिन डेलॉइट ने सतर्क दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी है। वैश्विक व्यापार की अनिश्चितता, मुद्रास्फीति और वित्तीय बाजार की अस्थिरता जैसे कारक जोखिम पैदा कर सकते हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को घरेलू और वैश्विक स्थितियों के बीच संतुलन बनाना होगा।
भविष्य के लिए तैयार
डेलॉइट की रिपोर्ट ने भारत की आर्थिक संभावनाओं को सकारात्मक बताया है। मजबूत घरेलू बाजार और बढ़ते वैश्विक एकीकरण के जरिए भारत सतत विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है। लेकिन इसके लिए लचीलापन बढ़ाने और नई संभावनाओं का लाभ उठाने के प्रयास जरूरी हैं।
