नई दिल्ली: रोशनी और उल्लास का पर्व दीपावली इस वर्ष सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे से आरंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक रहेगी। लेकिन प्रदोष काल और निशीत (मध्यरात्रि) काल दोनों 20 अक्टूबर को होने के कारण इसी दिन लक्ष्मी पूजा करना शुभ माना जा रहा है।
दिवाली का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास पूरा कर लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने दीपों से नगर को सजाया था। तभी से दीपावली का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है।
इस दिन दीप जलाना न सिर्फ प्रकाश का प्रतीक है बल्कि अंधकार पर प्रकाश और अन्याय पर न्याय की विजय का संदेश देता है।
लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम समय
धर्मशास्त्रों के अनुसार दीपावली रात के प्रदोष काल में मनाई जाती है। इस दौरान स्थिर लग्न (मुख्यतः वृषभ और सिंह) में पूजा करने से घर में स्थायी समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी पूजन के प्रमुख मुहूर्त:
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प्रदोष काल: शाम 6:50 से रात 8:24 बजे तक
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स्थिर वृष लग्न: रात 7:18 से 9:15 बजे तक
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स्थिर सिंह लग्न (निशीथ काल): रात 1:48 से 4:04 बजे तक
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सबसे शुभ समय: सायं 7:30 से 7:43 बजे तक
चौघड़िया के अनुसार “चर”, “लाभ” और “अमृत” मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए अत्यंत शुभ रहेंगे।
परंपराएं और धार्मिक महत्व
दीपावली की शाम घरों को दीपों और रंगोली से सजाया जाता है। माना जाता है कि स्वच्छ घरों में देवी लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए दीपोत्सव से पहले घर की सफाई और सजावट का विशेष महत्व है।
इस दिन लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते हैं। इसके अतिरिक्त चित्रगुप्त, यमराज, हनुमानजी और पितरों की भी आराधना शुभ मानी जाती है। श्रद्धालु इस अवसर पर श्रीसूक्त, लक्ष्मी अष्टक स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं।
अगले दिन के पर्व
दिवाली के अगले दिन 21 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व मनाया जाएगा, जबकि 22 अक्टूबर को भाई दूज का उत्सव होगा।
Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणना पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है; कृपया किसी निर्णय से पूर्व अपने पंडित या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।
