तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में वन विभाग ने समुद्र तट से लगभग 2,000 कछुओं के अंडे बरामद किए हैं। यह कदम समुद्री कछुओं के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। मन्नार की खाड़ी में पाए जाने वाले ओलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtles) उन प्रजातियों में से हैं जिनकी संख्या पिछले कुछ वर्षों में लगातार घट रही थी। हालांकि, सरकारी जागरूकता अभियानों और स्थानीय समुदायों की भागीदारी के कारण इस प्रजाति की आबादी में थोड़ी वृद्धि देखी गई है।
समुद्री कछुओं के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
हर साल दिसंबर से मार्च तक समुद्री कछुए अपने अंडे देने के लिए तमिलनाडु के तटों पर आते हैं। विशेष रूप से कन्याकुमारी से तिरुचेंदूर तक फैले तटीय क्षेत्र इन कछुओं के लिए प्रमुख घोंसले के शिकार स्थल बनते हैं। इनमें मनापाडु, पेरिया थाझी और कुलसेकरपट्टिनम जैसे स्थान प्रमुख रूप से शामिल हैं। समुद्र तटों पर अंडे सुरक्षित रूप से संरक्षित किए जा सकें, इसके लिए वन विभाग विशेष टीमें नियुक्त करता है जो इन अंडों को सावधानीपूर्वक एकत्रित कर सुरक्षित स्थानों पर ले जाती हैं।
तिरुचेंदूर में 2,000 अंडों की बरामदगी इस संरक्षण प्रयास की सफलता को दर्शाती है। अंडे देने के मौसम के दौरान कछुआ रक्षकों को विशेष रूप से नियुक्त किया जाता है, जो समुद्र तटों की निगरानी कर अवैध शिकार और अंडों की चोरी को रोकते हैं।
समुद्री जीवों के संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी की अहमियत
समुद्री कछुओं के संरक्षण में केवल सरकारी प्रयास ही नहीं, बल्कि स्थानीय समुदायों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई स्वयंसेवी संगठन और पर्यावरणविद् इस अभियान में वन विभाग का सहयोग कर रहे हैं। कछुओं के प्रजनन और उनके सुरक्षित विकास को सुनिश्चित करने के लिए समुद्र तटों की नियमित सफाई की जाती है और स्थानीय मछुआरों को भी इस मुहिम में शामिल किया जाता है।
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यदि संरक्षण के ये प्रयास निरंतर जारी रहे, तो आने वाले वर्षों में ओलिव रिडले कछुओं की संख्या में और वृद्धि देखी जा सकती है।
वन्यजीव अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
कछुओं के संरक्षण के प्रयासों के बीच, वन्यजीव अपराधों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। इसी सप्ताह, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 65 दुर्लभ कछुओं के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। इन कछुओं में 50 भारतीय छत वाले कछुए (Pangshura Tecta) और 15 चित्तीदार तालाब कछुए (Geoclemys Hamiltonii) शामिल थे। ये दोनों प्रजातियां वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के अंतर्गत आती हैं, जिसका अर्थ है कि इनका शिकार, व्यापार या परिवहन अवैध है।

CBI की टीम ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) के अधिकारियों के साथ मिलकर गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की थी। दोनों आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 39, 44, 48ए, 49 और 49बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। जब्त किए गए सभी जीवित कछुओं को सुरक्षित रखरखाव के लिए दिल्ली चिड़ियाघर भेज दिया गया है।
वन्यजीव संरक्षण की दिशा में आगे की राह
समुद्री कछुए पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे समुद्री खाद्य श्रृंखला का अहम हिस्सा होते हैं और समुद्री घास के मैदानों व प्रवाल भित्तियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
हालांकि, जलवायु परिवर्तन, तटीय क्षेत्रों में बढ़ते औद्योगीकरण और अवैध शिकार के कारण इनकी संख्या में लगातार गिरावट आई है। इसी वजह से सरकार और पर्यावरण संगठन इन जीवों के संरक्षण के लिए संयुक्त प्रयास कर रहे हैं। जागरूकता अभियानों, कड़े कानूनों और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से इन समुद्री जीवों को बचाया जा सकता है।
तमिलनाडु वन विभाग द्वारा 2,000 कछुओं के अंडों की बरामदगी और CBI द्वारा दुर्लभ कछुओं की तस्करी पर कार्रवाई, दोनों घटनाएं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में सकारात्मक संकेत हैं। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी का कर्तव्य है कि हम इन दुर्लभ जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। समुद्री कछुओं के संरक्षण के लिए समुदाय, सरकार और स्वयंसेवी संगठनों को मिलकर कार्य करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इन अद्भुत जीवों को देख सकें।
