हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है। यह पर्व खास तौर पर माता दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है. श्रद्धालु 9 दिनों तक माता की अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और 10वें दिन व्रत का पारण करते हैं। नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से पूजा, व्रत और साधना की जाती है, जिसका उद्देश्य है कि जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आए। भक्त इस समय अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए पूजा करते हैं।
चैत्र नवरात्रि इस वर्ष 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल 2025 को समाप्त होगी। इस बार द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन पड़ने से नवरात्रि नौ नहीं बल्कि आठ दिन की होगी, जैसा कि पंचांग बताता है। यह तिथि क्षय, या दिन कम होना, एक अच्छा या बुरा संकेत नहीं है। भक्तों को नवरात्रि के दौरान पूजा और साधना की शक्ति से लाभ मिलता है।
नवरात्रि के दौरान घट स्थापना होती है। इस वर्ष, घट स्थापना का विशेष मुहूर्त सुबह 6:12 से 10:20 तक है। इस समय घट बनाने से स्थायी सुख, समृद्धि और धन लाभ मिलता है। इसके अलावा, एक अतिरिक्त महत्वपूर्ण मुहूर्त है, जो सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 तक है। यह अभिजित मुहूर्त है। इस समय घट बनाने से सौभाग्य, अच्छी सेहत और ऐश्वर्य मिलता है।
महाअष्टमी और महानवमी भी नवरात्रि के दौरान बहुत महत्वपूर्ण हैं। 5 अप्रैल 2025 को महाअष्टमी तिथि होगी और 6 अप्रैल 2025 को महानवमी तिथि होगी। इन दोनों तिथियों पर माता दुर्गा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन भक्त माता को नारियल और चना पूड़ी जैसे प्रिय भोग चढ़ाते हैं। नौ कन्याओं का पूजन करके भोजन कराया जाता है। संधिकाल विशेष रूप से शुभ समय है, इसलिए माता की पूजा भी करनी चाहिए।
देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण या शक्तिरुपेण संस्थितः। नमस्तस्यैः सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थितः, नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमः। “यह मंत्र माता दुर्गा की शक्ति, शांति और कल्याण की प्रशंसा करता है और अपने अनुयायियों के जीवन में शुद्धता लाता है।भक्त माता दुर्गा की पूजा करके अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाने का प्रयास करते हैं, इसलिए चैत्र नवरात्रि एक ऐसा अवसर है। भक्तों को उनकी इच्छाओं के अनुरूप आशीर्वाद मिलता है, और इस दौरान किए गए साधनाएं और पूजा जीवन में लाभदायक होती हैं।
