उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य Satyendra Das का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बुधवार को लखनऊ के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 80 वर्षीय Mahant Satyendra Das को इस महीने की शुरुआत में ब्रेन हेमरेज के बाद 3 फरवरी को लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान मैं भर्ती कराया गया था। वे 1993 से श्री राम की सेवा और पूजा कर रहे थे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री Yogi Adityanath एवं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री Champat Rai समेत मंदिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath 4 फरवरी को आचार्य Satyendra Das के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे। Das 6 दिसंबर 1992 को भी मुख्य पुजारी थे, जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था। अयोध्या में नए राम मंदिर के अभिषेक समारोह के बाद से Satyendra Das इसके मुख्य पुजारी के रूप में कार्य कर रहे थे। आचार्य Satyendra Das ने 11 जनवरी को अयोध्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पहली वर्षगांठ मनाई थी, मुख्य पुजारी ने समारोह को बहुत सुंदर बताया था।
1992 में बने थे मुख्य अर्चक
आचार्य Satyendra Das ने महज 20 वर्ष की उम्र में प्रमुख पुजारी के रूप में अपना कार्य भार संभाला था और 6 दशक से अधिक समय तक मंदिर की सेवा में समर्पित रहे। आचार्य Satyendra Das 80 वर्ष से अधिक आयु के हो चुके थे। पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। राम मंदिर में उन्होंने 1 मार्च 1992 को मुख्य अर्चक के रूप में सेवा देना शुरू किया था। शुरुआती दिनों में आचार्य Satyendra Das की सैलरी काफी कम थी। समय के साथ उनकी सैलरी में बढ़ती गई, पहले उन्हें सैलरी के रूप में केवल ₹100 प्रति माह मिलता था। राम मंदिर निर्माण के बाद उनकी सैलरी बढ़कर 38500 प्रतिमा कर दी गई थी। राम मंदिर ट्रस्ट ने अस्वस्थ चल रहे मुख्य पुजारी को आजीवन सैलरी देने का निर्णय लिया था।
अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार
आचार्य Satyendra Das के निधन के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को लखनऊ से अयोध्या लाने की व्यवस्था की गई। उनके शिष्य Pradeep Das ने पुष्टि की की गुरुवार को अयोध्या में पवित्र सरयू नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों श्रद्धालु, मंदिर प्रशासन से जुड़े लोग और धार्मिक संतगण शामिल हुए। 10 को तक अयोध्या की आध्यात्मिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा रहे आचार्य Satyendra Das को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी जाएगी।
आचार्य Satyendra Das की विरासत और योगदान
आचार्य Satyendra Das केवल एक आध्यात्मिक गुरु ही नहीं थे, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था के प्रतीक भी थे। वे हिन्दू शास्त्रों के महान ज्ञाता थे और भगवान राम की पूजा अर्चना में उनका गहरा संपन्न था। राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही, जिससे वे हिंदू धार्मिक समुदाय में अत्यंत श्रद्धेय व्यक्तित्व बन गए।
राम मंदिर में उनकी भूमिका
आचार्य Satyendra Das ने 65 वर्षों अधिक समय तक राम जन्मभूमि मंदिर में धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन किया। उनके मार्गदर्शन में मंदिर की मित्रता और पारंपरिक पूजा संरक्षित रही। उन्होंने राम जन्मभूमि विवाद के लंबे कानूनी और सामाजिक संघर्ष को करीब से देखा और भव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना साकार होते हुए भी देखा। उनका निधन न केवल अयोध्या बल्कि संपूर्ण हिंदू धार्मिक समाज के लिए एक अपूरणीय क्षती है। उनकी आध्यात्मिक शिक्षा और मंदिर सेवा की प्रेरणा सदैव भक्तों के हृदय में जीवित रहेगी।
34 वर्षों तक राम मंदिर की सेवा
आचार्य Satyendra Das करीब 34 वर्षों तक राम मंदिर की सेवा की है। राम मंदिर के मुख्य पुजारी अचार्य Satyendra Das बाबरी विध्वंस से लेकर राम मंदिर के निर्माण तक के साक्षी रहे हैं। राम मंदिर की भव्य ग्रैंड प्रतिष्ठा भी उन्होंने अपनी आंखों से देखी है। आचार्य Satyendra Das में टेंट में रहे रामलला की 28 साल तक उपासना पूजा की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद करीब 4 साल तक स्थाई मंदिर में विराजे रामलला की सेवा मुख्य पुजारी के रूप में की। श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अभी तक वह मुख्य पुजारी के रूप में सेवा दे रहे थे।