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Tuesday, December 16, 2025

महाशिवरात्रि 2025: पंचक्रोशी यात्रा का महत्व और श्रीराम का संबंध – जानिए

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साल 2025 में महाशिवरात्रि का पवित्र पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। शिव भक्तों के लिए यह दिन बेहद खास होता है और पूरे साल वे इस दिन का इंतजार करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था, यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से भोलेनाथ की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

पंचक्रोशी यात्रा: एक धार्मिक परंपरा

महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्तों के लिए पंचक्रोशी यात्रा करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह यात्रा खासतौर पर उज्जैन और वाराणसी जैसे शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर की जाती है। पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने की थी। कहा जाता है कि श्रीराम ने यह यात्रा अपने पिता राजा दशरथ को श्रवण कुमार के श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए की थी।

पंचक्रोशी यात्रा का इतिहास और राम का संबंध

त्रेतायुग में एक घटना घटी थी, जब राजा दशरथ ने अनजाने में श्रवण कुमार की हत्या कर दी थी। इसके बाद, श्रवण कुमार के वृद्ध माता-पिता ने राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दिया। इस श्राप से मुक्त होने के लिए भगवान श्रीराम ने पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत की थी। यह यात्रा राजा दशरथ के लिए उनके श्राप से मुक्ति का कारण बनी। इस यात्रा को करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और यह आत्मिक शांति का कारण बनती है।

उज्जैन और वाराणसी में पंचक्रोशी यात्रा

महाशिवरात्रि के अवसर पर पंचक्रोशी यात्रा विशेष रूप से उज्जैन और वाराणसी से की जाती है। ये दोनों ही स्थान भगवान शिव की प्रमुख नगरी हैं और यहां स्थित शिव मंदिरों में दर्शन करना भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।

उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा वैशाख माह में की जाती है, जहां पिंगलेश्वर, कायावरोहणेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्धरेश्वर, और नीलकंठेश्वर जैसे प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों द्वारा दर्शन किए जाते हैं।

वाराणसी में पंचक्रोशी यात्रा

वाराणसी, जिसे शिव नगरी भी कहा जाता है, में पंचक्रोशी यात्रा का आरंभ मणिकर्णिका घाट से होता है। शिवरात्रि के दिन यह यात्रा मध्य रात्रि से प्रारंभ होती है। यात्रा का मार्ग कर्दमेश्वर, भीम चंडी, भीम चंडी रामेश्वर, शिवपुर और कपिलधारा होते हुए पुनः मणिकर्णिका घाट तक पहुंचता है। यह यात्रा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति भी प्रदान करती है।

महाशिवरात्रि का पर्व और पंचक्रोशी यात्रा दोनों ही शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्व रखते हैं। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा और यात्रा से भक्तों को उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। शिव भक्तों के लिए यह पर्व एक गहरी आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।

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