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Monday, June 16, 2025

Rajasthan: धौलपुर में एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स की बड़ी कार्रवाई: AK-47 के साथ जीतू चंबल और तेजपाल ठाकुर गिरफ्तार

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राजस्थान में अपराधियों के खिलाफ एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGFT) द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। बुधवार, 4 जून को धौलपुर जिले के राजाखेड़ा क्षेत्र में AGFT और सीआईडी सीबी की संयुक्त टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कुख्यात तस्कर जीतू चंबल और तेजपाल ठाकुर को AK-47 रायफल और जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया है।

गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई

AGFT को गुप्त सूचना मिली थी कि जीतू चंबल, जो लंबे समय से फरार चल रहा था, अपने पैतृक गांव बसई घीयाराम में छिपा हुआ है। सूचना की पुष्टि होते ही धौलपुर एसपी सुमित महरडा के समन्वय में राजाखेड़ा थानाधिकारी और अन्य पुलिस बल के साथ AGFT टीम ने इलाके में दबिश दी।

हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद

छापेमारी के दौरान पुलिस ने जीतू चंबल और तेजपाल ठाकुर को मौके पर ही दबोच लिया। उनके पास से एक AK-47 रायफल, एक मैगजीन और 34 जिंदा कारतूस बरामद किए गए। पुलिस की इस कार्रवाई ने अवैध हथियार तस्करी की एक बड़ी कड़ी को तोड़ने में मदद की है।

कौन है जीतू चंबल?

जीतू चंबल, कुख्यात अपराधी सोनू चंबल का भाई है, जो कि पहले से ही दर्जनों संगीन मामलों में वांछित है। जीतू स्वयं भी एक हिस्ट्रीशीटर है और तेजपाल ठाकुर के साथ मिलकर अवैध हथियारों की तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियों में सक्रिय था।

फरार है रामदत्त उर्फ सोनू चंबल

पुलिस की दबिश का असली मकसद था रामदत्त चंबल उर्फ सोनू चंबल, लेकिन वह अपने साथियों और हथियारों के साथ मौके से फरार होने में कामयाब हो गया। सोनू चंबल के खिलाफ राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना में दर्जनों गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, अपहरण, पुलिस पर फायरिंग और अवैध हथियार तस्करी जैसे 35 से अधिक केस शामिल हैं।

क्या है आगे की रणनीति?

AGFT अब फरार आरोपियों की तलाश में और भी सघन अभियान चलाने की तैयारी में है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, सोनू चंबल के संभावित ठिकानों की पहचान की जा रही है और जल्द ही उसे भी गिरफ्तार करने की योजना बनाई गई है।

राजस्थान में अपराधियों पर शिकंजा

राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन की इस संयुक्त कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि अवैध हथियार तस्करी और संगठित अपराध में लिप्त लोगों के लिए राजस्थान में अब कोई जगह नहीं है। यह कार्रवाई राज्य में कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है।

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