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Monday, October 27, 2025

Pune Bus Fire: पुणे में ड्राइवर ने सैलरी के झगड़े में लगाई बस में आग, जिंदा जल गए 4 लोग

ड्राइवर का कुछ लोगों से झगड़ा था और उसकी सैलरी भी कम कर दी गई थी। उसने बेंजीन और एक कपड़े का इस्तेमाल करके बस में आग लगाई। पुलिस ने उसे पकड़ लिया है और मामले की जांच कर रही है।

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Pune Bus Fire: पुणे के हिंजवडी इलाके में एक प्राइवेट कंपनी की बस में बुधवार की सुबह एक खतरनाक आग लगने से चार कर्मचारियों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। इस घटना ने पूरे शहर को चौंका दिया, क्योंकि शुरुआती जांच में यह पता चला कि यह आग एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक साजिश थी, जिसे ड्राइवर ने जानबूझकर अंजाम दिया था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी ड्राइवर का कुछ कर्मचारियों से विवाद था, और उसकी सैलरी में कटौती भी की गई थी, जिससे वह गुस्से में था और बदला लेने के लिए इस खतरनाक कदम को उठाया।

आग की वजह और आरोपी ड्राइवर की साजिश

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) विशाल गायकवाड़ ने बताया कि यह घटना पूरी तरह से सुनियोजित थी। ड्राइवर जनार्दन हम्बर्डेकर ने आग लगाने के लिए पहले बेंजीन (एक अत्यधिक ज्वलनशील रासायनिक पदार्थ) खरीदी थी, और उसने बस में एक कपड़ा रखा था, जिसका उपयोग टोनर पोंछने के लिए किया जाता था। फिर जैसे ही बस हिंजवडी के पास पहुंची, आरोपी ने माचिस जलाकर इस कपड़े में आग लगा दी। यह आग फैलते हुए बस में हर तरफ फैल गई, और कर्मचारियों के पास इसे बुझाने या भागने का कोई मौका नहीं था। डीसीपी ने यह भी कहा कि जिन कर्मचारियों से ड्राइवर को शिकायत थी, वे मौत के शिकार नहीं हुए। यह जानकारी घटना के बाद सामने आई, लेकिन मृतकों के परिवारों के लिए यह शॉकिंग था।

आग लगने का तरीका और घटनास्थल पर स्थिति

घटना के समय, बस में 14 कर्मचारी सवार थे, जो व्योमा ग्राफिक्स कंपनी के लिए काम कर रहे थे। अचानक लगी आग ने पूरे बस को अपनी चपेट में ले लिया। जांच में सामने आया कि आरोपी ड्राइवर ने बस से कूदने का फैसला किया और खुद को बचाने की कोशिश की। हालांकि, बस में आग लगने से पहले ही वह जल चुका था। वह जब तक बस से कूद नहीं पाया, तब तक बस लगभग सौ मीटर तक चलती रही और अंत में रुक गई। आग के फैलने की गति इतनी तेज़ थी कि जो कर्मचारी बस के पीछे बैठे थे, वे सही समय पर इमरजेंसी एग्जिट का दरवाजा नहीं खोल पाए और इसकी वजह से उनकी जान चली गई।

मृतक और घायल कर्मचारियों की सूची

इस दर्दनाक हादसे में चार कर्मचारियों की मौत हो गई। मृतकों में शंकर शिंदे (63), राजन चव्हाण (42), गुरुदास लोकरे (45), और सुभाष भोसले (44) शामिल थे। ये कर्मचारी बस के पिछले हिस्से में बैठे थे और आग की चपेट में आ गए। चूंकि वे इमरजेंसी एग्जिट को खोलने में असमर्थ थे, इसलिए वे समय पर बस से बाहर नहीं निकल पाए। इसके अतिरिक्त, छह अन्य कर्मचारी भी झुलस गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी घायल कर्मचारियों का इलाज चल रहा है, लेकिन यह घटना उनके जीवन पर एक गहरा असर डाल चुकी है।

ड्राइवर की मनोस्थिति और उसका गुस्सा

इस घटना को लेकर एक बड़ा सवाल यह उठता है कि ड्राइवर ने ऐसी खतरनाक साजिश क्यों रची। पुलिस ने खुलासा किया कि ड्राइवर का कुछ कर्मचारियों से विवाद था, और इसके अलावा उसकी सैलरी में कटौती भी की गई थी। यह वह कारक था जिसने उसे इस कदर गुस्से में डाल दिया कि उसने अपने व्यक्तिगत नाराजगी के चलते इस भयानक कदम को उठाया। ड्राइवर के मानसिक तनाव और गुस्से ने न केवल उसकी, बल्कि कई निर्दोष कर्मचारियों की जान भी ले ली। यह घटना यह साबित करती है कि जब किसी कर्मचारी को अपने कार्यस्थल पर निराशा और असंतोष का सामना करना पड़ता है, तो वह किसी भी स्थिति में हिंसक कदम उठा सकता है।

पुलिस की जांच और आरोपी की गिरफ्तारी

पुलिस उपायुक्त विशाल गायकवाड़ ने इस घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ड्राइवर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, आरोपी ड्राइवर अस्पताल में भर्ती है क्योंकि आग के दौरान वह खुद भी गंभीर रूप से जल चुका है। पुलिस का कहना है कि जैसे ही उसकी स्थिति ठीक होगी, उसे गिरफ्तार किया जाएगा। अब तक, पुलिस ने यह पुष्टि की है कि ड्राइवर ने यह कदम जानबूझकर उठाया था, और उसके खिलाफ हत्या और जानबूझकर आग लगाने की धाराओं में मामला दर्ज किया जाएगा।

कर्मचारियों की सुरक्षा और मानसिक दबाव

यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं थी, बल्कि यह कार्यस्थल पर मानसिक दबाव और कर्मचारियों के भले की सुरक्षा की ओर इशारा करती है। कार्यस्थल पर कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही उनकी सुरक्षा भी जरूरी है। अगर कार्यस्थल पर कर्मचारियों को तनाव, असंतोष या गुस्से से निपटने का उचित उपाय नहीं मिलता, तो ऐसे खतरनाक परिणाम सामने आ सकते हैं। यह घटना यह भी दिखाती है कि कर्मचारियों के बीच असंतोष को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित नहीं करता, बल्कि पूरे समाज और संगठन के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।

समाज और कर्मचारियों के अधिकारों पर एक सवाल

यह घटना समाज में कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती है। क्या कामकाजी कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में सही तरह से सोचा जा रहा है? क्या उनके अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, और क्या उनके साथ होने वाली किसी भी अन्यायपूर्ण स्थिति को नजरअंदाज किया जा रहा है? अगर कर्मचारियों को सही तरीके से समर्थन और सहायता नहीं मिलती, तो यही असंतोष कहीं न कहीं इस प्रकार की घटनाओं की वजह बन सकता है।

इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि हम यह समझें कि काम करने वाले लोग केवल शारीरिक श्रम नहीं करते, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। जब एक कर्मचारी के मन में निराशा और गुस्सा होता है, तो उसे किसी प्रकार की मानसिक चिकित्सा, सहानुभूति और समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि वह अपने तनाव का सही तरीके से समाधान कर सके।

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Shreya Bhushan
Shreya Bhushan
श्रेया भूषण एक भारतीय पत्रकार हैं जिन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप के बिहार तक और क्राइम तक जैसे चैनल के माध्यम से पत्रकारिता में कदम रखा. श्रेया भूषण बिहार से आती हैं और इन्हे क्राइम से संबंधित खबरें कवर करना पसंद है
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