पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लगातार बढ़ते सीमा संघर्ष और हवाई हमलों के एक सप्ताह बाद आखिरकार शांति की दिशा में बड़ी पहल हुई है। कतर के विदेश मंत्रालय ने रविवार सुबह घोषणा की कि दोनों पड़ोसी देशों ने तत्काल युद्धविराम पर सहमति बना ली है। यह समझौता दोहा में हुई वार्ता के दौरान हुआ, जिसकी मेजबानी कतर ने की और तुर्किये ने मध्यस्थ के रूप में भूमिका निभाई।
हिंसा और राजनयिक दबाव के बीच समझौता
पिछले हफ्ते पाक-अफगान सीमा पर भीषण झड़पें हुई थीं, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें कथित तौर पर 17 लोगों की मौत हुई, जिनमें तीन अफगान क्रिकेट खिलाड़ी भी शामिल थे। इसके बाद संघर्ष ने गंभीर रूप ले लिया था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती चिंता और संयुक्त राष्ट्र सहित कई देशों की अपील के बाद यह बातचीत शनिवार रात शुरू हुई, जो करीब 13 घंटे चली। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस दौरान न केवल तत्काल युद्धविराम बल्कि आने वाले दिनों में स्थायी शांति के लिए संवाद जारी रखने पर भी सहमति जताई।
दोनों देशों के वार्ता दल
अफगानिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जबकि पाकिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने वार्ता में हिस्सा लिया। दोनों देशों के अधिकारियों ने सीमा क्षेत्र में शांति, सतत युद्धविराम और सीमा-पार आतंकवाद को समाप्त करने के उपायों पर चर्चा की।
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आरोप लगाया है कि उसकी सीमा से आतंकवादी पाकिस्तान में घुसपैठ कर रहे हैं और हमले कर रहे हैं। वहीं तालिबान सरकार ने इस आरोप से इनकार करते हुए पाकिस्तान पर गलत सूचना फैलाने और इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाया। तालिबान ने इस्लामाबाद से कहा कि ऐसे बयान क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करते हैं।
तुर्किये की मध्यस्थता और संवाद का भविष्य
तुर्किये ने इस कूटनीतिक पहल में अहम भूमिका निभाई। कतर की सरकार ने कहा कि दोनों देशों के बीच अगले कुछ दिनों में फॉलोअप मीटिंग्स होंगी, ताकि युद्धविराम की स्थिति को स्थिर रखा जा सके और व्यावहारिक स्तर पर लागू किया जा सके। कतर और तुर्किये ने इस समझौते को “क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता की दिशा में निर्णायक कदम” बताया है।
कतर के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “दोनों पक्षों ने युद्धविराम को विश्वसनीय और टिकाऊ तरीके से लागू करने के लिए निगरानी प्रणाली स्थापित करने पर सहमति जताई है।”
संघर्ष की पृष्ठभूमि
2021 में तालिबान के काबुल में सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध लगातार तनावपूर्ण रहे हैं। पाकिस्तान पर बढ़ते आतंकवादी हमलों का जिम्मेदार अफगान सीमा पार के समूहों को ठहराया जा रहा है, जबकि अफगानिस्तान का दावा है कि इस्लामाबाद की नीतियां क्षेत्र में अस्थिरता फैला रही हैं।
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत
दोहा समझौता इन दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे शत्रुता और अविश्वास को कम करने की एक अहम शुरुआत माना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इसे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कदम बताया है।
कतर और तुर्किये के संयुक्त प्रयासों ने यह साबित किया है कि संवाद, कूटनीति और समझौता ही लंबे संघर्षों को खत्म करने का रास्ता है।
आने वाले सप्ताहों में यह देखना अहम होगा कि क्या यह युद्धविराम स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम बन पाता है या फिर पुरानी दुश्मनी एक बार फिर सिर उठाती है।
