Tamil Nadu के CM M.K Stalin ने शुक्रवार को देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर केंद्र सरकार के प्रस्तावित परिसीमन को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन राज्यों के साथ अन्याय करेगा, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में सफलता हासिल की है।
Stalin ने पत्र में बताया कि भारत में पहले परिसीमन 1952, 1963 और 1973 में हुए थे, लेकिन 42वें संविधान संशोधन के तहत 1976 में इसे रोक दिया गया था। 2002 में इसे 2026 की जनगणना तक स्थगित कर दिया गया। हालांकि, 2021 की जनगणना में देरी के कारण परिसीमन समय से पहले हो सकता है, जिससे बेहतर शासन और जनसंख्या नियंत्रण वाले राज्यों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने आगाह किया कि यदि परिसीमन 2026 के बाद की जनसंख्या के आधार पर होता है, तो दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों की संसदीय सीटें घट सकती हैं, जबकि अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को फायदा होगा। उन्होंने कहा, “अगर हमने जिम्मेदारी से जनसंख्या नियंत्रण को लागू किया है, तो हमें इसकी सजा क्यों दी जा रही है?”
Stalin ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र के बयान अस्पष्ट हैं और “प्रो-राटा आधार” पर सीटों के निर्धारण की बात कही जा रही है, लेकिन इस गणना की कोई पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि जब देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा मंडरा रहा है, तब क्या हम सिर्फ खोखली गारंटियों पर भरोसा कर सकते हैं?
Tamil Nadu में इस मुद्दे पर हाल ही में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, जिसमें सभी दलों ने परिसीमन प्रस्ताव का विरोध किया। बैठक में संयुक्त कार्य समिति (JAC) बनाने का फैसला हुआ, जो अन्य राज्यों के साथ मिलकर परिसीमन में न्याय की मांग करेगी।
Stalin ने अन्य राज्यों से भी इस समिति में शामिल होने और 22 मार्च को चेन्नई में होने वाली पहली बैठक में भाग लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह केवल Tamil Nadu का मुद्दा नहीं, बल्कि हर उस राज्य का सवाल है, जिसने जनसंख्या नियंत्रण को गंभीरता से लिया है।
नोट: हम बिजनेस हेडलाइन (BH) में अपनी नैतिकता को बहुत गंभीरता से लेते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त की जा सकती है।
