केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक अहम पत्र भेजा है, जिसमें नागरिक सुरक्षा नियमों के तहत आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग की मांग की गई है। इस कदम का उद्देश्य किसी भी संभावित शत्रु हमले या युद्ध जैसे हालात में त्वरित कार्रवाई करना और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
पत्र में कहा गया है कि यदि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो, तो राज्य सरकारों को नागरिक रक्षा नियम 1968 के तहत विशेष शक्तियाँ मिलती हैं। इन शक्तियों के तहत राज्य सरकारें आवश्यक सेवाओं, जैसे बिजली, पानी और परिवहन, को जारी रखने के लिए तुरंत कदम उठा सकती हैं। साथ ही, ये अधिकार राज्य सरकारों को लोगों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश देते हैं।
यहां तक कि स्थानीय निकायों को इन आपातकालीन उपायों के लिए अपने फंड्स से भुगतान करना होगा। स्थानीय प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ये आपातकालीन उपाय सभी अन्य कार्यों से ऊपर हों और प्राथमिकता दी जाए।
नागरिक रक्षा नियम 1968 की धारा 11 के तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार प्राप्त है कि वे शत्रु आक्रमण के दौरान या युद्ध जैसी स्थिति में लोगों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए। इस संदर्भ में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि स्थानीय निकायों को अपनी रोज़मर्रा की जिम्मेदारियों से ऊपर इन आपातकालीन उपायों को प्राथमिकता देनी होगी।
सरकार ने पत्र में यह भी कहा कि इस कानून को लागू करने के लिए आवश्यक आपातकालीन खरीद शक्तियों का उपयोग किया जाए, ताकि समय पर और प्रभावी तरीके से सुरक्षात्मक उपाय लागू किए जा सकें।
यह कदम केंद्र सरकार की ओर से नागरिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और किसी भी असाधारण स्थिति का प्रभावी तरीके से सामना करने का संकेत है।