भारत में अवैध तरीके से घुसे Rohingya लोगों को लेकर Supreme Court ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान Chief Justice Surya Kant ने उन्हें शरणार्थी बताने वाले वकील को कड़े शब्दों में फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि यह दिखाया जाए कि भारत ने कब आधिकारिक तौर पर Rohingya को शरणार्थी का दर्जा दिया है। Chief Justice ने स्पष्ट किया कि कोई व्यक्ति अवैध रूप से देश में घुस आए और उसके बाद नागरिकों जैसे कानूनी अधिकार मांगने लगे, यह स्वीकार्य नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि इस साल May में Delhi Police ने 5 Rohingya लोगों को हिरासत में लिया था और तब से वे लापता हैं। इस पर Supreme Court ने आशंका जताई कि संभव है कि उन्हें Myanmar वापस भेज दिया गया हो। Bench ने तीखे शब्दों में कहा कि क्या अब देश लाल कालीन बिछाकर अवैध घुसपैठियों का स्वागत करे? Court ने टिप्पणी की कि Border की फेंसिंग काटकर या सुरंग बनाकर आए लोग अब देश से कानूनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है।
सुनवाई के दौरान Solicitor General Tushar Mehta ने Court का ध्यान इस तथ्य पर दिलाया कि यह याचिका एक Public Interest Litigation के रूप में दायर की गई है और याचिकाकर्ता का इन 5 Rohingya व्यक्तियों से कोई सीधा संबंध नहीं है। इस पर Chief Justice ने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि घुसपैठियों को भोजन, आश्रय और बच्चों की शिक्षा जैसे सभी अधिकार मिल जाएं, जबकि हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। Court ने कहा कि देश के संसाधनों पर सबसे पहले अधिकार भारतीय नागरिकों का है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी को निर्वासित किए जाने के मुद्दे को उठाना नहीं है, बल्कि उनकी चिंता सिर्फ हिरासत से गायब हुए इन व्यक्तियों के बारे में है। इस पर Chief Justice ने स्पष्ट किया कि यह मूल रूप से एक Habeas Corpus याचिका है और अवैध रूप से भारत में घुसे लोगों की रिहाई के लिए इस प्रकार की याचिका दायर करना उचित नहीं माना जा सकता।
Supreme Court ने यह भी कहा कि उत्तर भारत की सीमाएं काफी संवेदनशील हैं और देश के भीतर सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दे उत्पन्न हो रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी ही होगी। Bench ने स्पष्ट संकेत दिया कि अवैध घुसपैठ को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
हालांकि, वकील के आग्रह पर Supreme Court ने मामले की आगे की सुनवाई 16 December को तय की है। Court ने कहा कि वह पुनः इस मामले पर विस्तृत विचार करेगा, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमाओं की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
