3 अप्रैल को भारतीय संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर लंबी चर्चा के बाद इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया। 12 घंटे चली इस चर्चा में बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े। हालांकि, यह बिल लोकसभा में पारित हो गया, असली “अग्निपरीक्षा” अब राज्यसभा में होगी।
वक्फ संशोधन बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई। विपक्ष के नेताओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए कड़ी आलोचना की, जबकि सरकार ने इन आरोपों का जोरदार जवाब दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक में गैर-मुसलमानों को वक्फ में शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष वोट बैंक की राजनीति कर रहा है और माइनॉरिटीज को डराने का प्रयास कर रहा है।
लोकसभा में बिल के पारित होने के बाद अब राज्यसभा में इसे पेश किया जाएगा। यहां सरकार को समर्थन देने के लिए नीतीश कुमार की JDU और चंद्रबाबू नायडू का साथ मिला है, जिससे NDA को मजबूती मिली है। राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं, जिसमें से 9 सीटें खाली हैं, और बहुमत का आंकड़ा 119 है। बीजेपी के पास 98 सीटें हैं, जबकि NDA के पास 115 सदस्य हैं, जिनमें मनोनीत 6 सदस्य जोड़कर यह संख्या 121 हो जाती है। हालांकि, अगर क्रॉस वोटिंग होती है, तो सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
विपक्ष, खासकर असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक अधिकारों पर हमला बताते हुए इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया है। राज्यसभा में अब सरकार को इस विधेयक को पास कराने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।