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Friday, November 14, 2025

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम में एक और गिरफ्तारी, धर्मेश पौन को EOW ने पकड़ा

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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम (New India Co-operative Bank Scam) के मामले में एक और आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में बिल्डर धर्मेश पौन को गिरफ्तार किया है। धर्मेश के खिलाफ कार्रवाई करते हुए EOW ने खुलासा किया कि उसने बैंक से गबन किए गए 122 करोड़ रुपये में से 70 करोड़ रुपये का हिस्सा लिया था। धर्मेश पेशे से बिल्डर है और चारकोप में उसके कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

धर्मेश पौन का स्कैम में भूमिका

EOW की जांच में यह सामने आया कि धर्मेश पौन ने हितेश मेहता द्वारा गबन किए गए पैसों का इस्तेमाल अपने व्यापार में किया था। धर्मेश ने 2024 के मई और दिसंबर में 1.75 करोड़ रुपये और 2025 के जनवरी महीने में 50 लाख रुपये का हिस्सा लिया था। इसके अलावा, यह भी सामने आया है कि धर्मेश की और हितेश की दोस्ती एक फ्लैट की खरीद-बिक्री के दौरान हुई थी, जो धर्मेश ने हितेश को बेचा था।

अरुण का संदिग्ध रोल

इस मामले में एक और नाम सामने आया है, वह है उनन्नाथन अरुणाचलम उर्फ अरुण भाई। पुलिस को अरुण की तलाश अभी भी जारी है। हितेश मेहता ने पूछताछ में बताया कि उसने गबन किए गए पैसों में से 40 करोड़ रुपये अरुण को दिए थे। अरुण ने इन पैसों का कथित रूप से अपने व्यापार में उपयोग किया।

अवैध लोन का नेटवर्क

EOW के सूत्रों के अनुसार, हितेश मेहता न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के डिपॉजिटर्स के पैसों का इस्तेमाल अवैध रूप से लोन देने के लिए कर रहा था। उसने अपने जान-पहचान के लोगों को करोड़ों रुपये का लोन दिया था, जिससे उसे मुनाफा हुआ। हालांकि, जांच में यह पता नहीं चल पाया है कि उसे कितना मुनाफा हुआ।

हितेश मेहता का बैकग्राउंड और कबूलनामा

हितेश मेहता, जो कि एक कॉमर्स ग्रेजुएट है, 1987 से न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में कार्यरत था और हाल ही में वह इस बैंक से रिटायर होने वाला था। 2002 में उसे जनरल मैनेजर और हेड अकाउंटेंट के पद पर नियुक्त किया गया था। आरोपियों ने यह भी कबूल किया कि गबन किए गए पैसों का एक हिस्सा कोविड काल से निकालना शुरू किया था। हितेश ने यह बताया कि वह बैंक के अकाउंट हेड के रूप में तिजोरी का ख्याल रखने, GST और TDS को मैनेज करने की जिम्मेदारी निभा रहा था।

गबन का पैटर्न और खोए हुए पैसों की जानकारी

हितेश ने स्वीकार किया कि उसने बैंक की तिजोरियों से 122 करोड़ रुपये गबन किए थे। प्रभादेवी कार्यालय की तिजोरी से 112 करोड़ रुपये और गोरेगांव कार्यालय की तिजोरी से 10 करोड़ रुपये गायब हुए थे। इस पूरे मामले में पुलिस और EOW की जांच जारी है, और अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी की संभावना भी बनी हुई है।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम एक बड़ा मामला बन चुका है और इससे जुड़ी जांच के लिए पुलिस अधिकारियों ने अपनी टीमों को सक्रिय कर दिया है।

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