दिल्ली में राज्य -सभा इलेक्शन के कुछ दिन ही बचे हैं। दिल्ली की त्रिकोणीय पार्टी अपने – अपने दाव लगा ही रही हैं। इस बिच राहुल गाँधी बिहार के सिंघासन को अपने नाम करने की त्यारी कर रहें हैं। आइये जानते हैं पूरा मामला।
एक हफ्ते पहले तेजस्वी यादव दिल्ली में कांग्रेस के खिलाफ खड़े हो गये और आम आदमी पार्टी के पक्ष ने चले गए वहीँ INDIA के अस्तित्व को खारिज करने वाले बयान भी दिये। आज एक खबर आई की 18 जनवरी को राहुल गांधी की बिहार यात्रा करने वालें हैं। पर राजनीतिक विश्लेषक का यह कहना हैं की कांग्रेस के भविष्य के लिए इसे एक प्रयोग के तौर पर देख सकतें हैं। वहीं आपको बता दें की 18 जनवरी को राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भी बैठक है।
कांग्रेस बनान चाहती हैं राजद पर दबाव
वहीँ आपको बतादें की 2025 में नवंबर-दिसंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के पहले सीटों की अत्यधिक हिस्सेदारी होती हैं । जिस वजह से कांग्रेस राजद पर दबाव बनाना चाहती है। पिछले चुनाव में राजद ने कांग्रेस को 70 सीटें दी थीं, लेकिन 51 सीटों से ही हार गए थे।
कांग्रेस का हौसला आसमान छू रहा हैं पर
आपको बता दे ही कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में राजद की तुलना में कम सीटों पर लड़कर ज्यादा सीटें जीती थी और खराब स्ट्राइक रेट के धब्बे को धो दिया था। । अपने हिस्से में आई नौ सीटों में कांग्रेस ने तीन जीत ली, किंतु 23 सीटों पर लड़कर राजद को मात्र चार सीटें मिलीं। कांग्रेस का हौसला यहीं से बढ़ पर है और राजद की हार ने सं कुछ बयां कर दिया।
लालू को पता है कांग्रेस के उदय का मतलब
कांग्रेस को कोसना भी तभी से बंद हो चुका है। किंतु अंदर ही अंदर चूहे-बिल्ली का खेल जारी है। लालू को पता है कि बिहार में कांग्रेस का उत्थान का मतलब राजद का पतन होगा। इसलिए कांग्रेस को पनपने देने के पक्ष में वह नहीं हैं। ऐसा प्रयास पहले भी किया जा चुका है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लालू और रामविलास पासवान ने मनमाने तरीके से सीटें बांट ली थी।
राजनीतिक विश्लेषक कहतें हैं की !
राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार का कहना है कि राजद के दो शीर्ष नेताओं के हालिया बयान को कांग्रेस को हैसियत में लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। ममता बनर्जी को राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन का नेता बनाने के पक्ष में बयान देकर लालू यादव ने शुरुआत की थी, जिसे तेजस्वी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के पक्ष में खड़े होकर आगे बढ़ाया है।
उन्होंने आईएनडीआईए के अस्तित्व को नकारकर भी कांग्रेस को गहरी चोट पहुंचाई है। अब बारी कांग्रेस के पलटवार की है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राहुल के पटना दौरे को इसी नजरिए से देखा जा रहा है।
