दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद गुरुवार को दिल्ली में नई सरकार का गठन होना है। गुरुवार यानी 20 फरवरी को 12 बजे दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। इसके लिए बीते तीन दिनों से तैयारी जोर-शोर से चल रही हैं। पहले शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार शाम 4:30 बजे होने की चर्चा थी लेकिन प्रदेश भाजपा कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री Tarun Chugh और Vinod Tawde की मौजूदगी में मंगलवार को भी बैठक के बाद शपथ ग्रहण समारोह 12 बजे आयोजित करने का फैसला लिया गया।
उप राज्यपाल दिलाएंगे शपथ
दिल्ली में नई सरकार के गठन के कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं को सुबह 10 बजे से ही समझ में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह के बाद नव निर्वाचित मुख्यमंत्री और सभी मंत्री दिल्ली सचिवालय जाकर वहां अपना पदभार ग्रहण करेंगे। कुछ देर बाद दिल्ली सचिवालय में ही कैबिनेट की पहली मीटिंग भी होगी। जिसमें संभावना जताई जा रही है कि चुनाव प्रचार के दौरान दिल्ली की जनता से पार्टी के नेताओं ने जो वादे किए थे उनमें से कुछ अहम फैसले इस कैबिनेट की बैठक में लिए जाएंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री सुबह 11:15 बजे मंच पर पहुंचेंगे। रामलीला मैदान में तमाम अतिथियों को बैठने के लिए 3 मंच बनाए गए हैं। इस दौरान वहां कोई भाषण नहीं होगी, केवल राष्ट्रगान होगा और उसके बाद उपराज्यपाल V.K. Saxena नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री और मंत्रियों को शपथ दिलाएंगे।
शपथ ग्रहण समारोह में हर वर्ग के लोग होंगे
दिल्ली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के संबंध में सभी अतिथियों को निमंत्रण भेज दिया गया है। दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सरकार बनने जा रही है। ऐसे में पार्टी शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। शपथ ग्रहण समारोह को उत्सव जैसा माहौल दिया जाएगा। रामलीला मैदान और उसके आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए गए हैं। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री सभी केंद्रीय मंत्री पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता भाजपा और एनडीए शासित 20 राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे।
भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री की शपथ राजनिवास में ली थी
इससे पहले की बात कर तो वर्ष 1993 में जब बीजेपी 49 सिम जीतकर सत्ता में पहुंची तो Madanlal Khurana मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने राजनिवास में ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि बीजेपी की सरकार में ही जब Madanlal Khurana किस जगह जाट नेता Sahib Singh Verma मुख्यमंत्री बनाए गए तब शपथ ग्रहण समारोह उत्तरी दिल्ली स्थित छत्रसाल स्टेडियम में आयोजित किया गया था। फिर भाजपा के इस कार्यकाल में चुनाव से चंद दिनों पहले जब Sushma Swaraj मुख्यमंत्री बनी थी तो उनका शपथ ग्रहण समारोह राज निवास में ही हुआ था। उसके बाद वर्ष 1998 में कांग्रेस दिल्ली की सत्ता में आई तब से लेकर 2008 तक Sheela Dixit ने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। तीनों ही बार उनके शपथ ग्रहण समारोह राजनिवास में ही संपन्न हुआ था।
Kejriwal ने रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण लेने की शुरुआत की
आम आदमी पार्टी के बाद भाजपा अब दूसरी पार्टी होगी जिसके मुख्यमंत्री रामलीला मैदान में शपथ लेंगे। वर्ष 2013 में जब पहली बार आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ी थी और 28 सीटें ही जीतने के बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने का फैसला लिया था, तो उसी रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था। उसके बाद वर्ष 2015 में जब आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव जीती तब 14 फरवरी को फिर रामलीला मैदान में ही मुख्यमंत्री व मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। वर्ष 2020 में भी Arvind Kejriwal ने 16 फरवरी को इसी रामलीला मैदान में तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
समारोह में पीएम Modi समेत कई हस्तियां आएंगी
दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाले समझ में प्रधानमंत्री Modi सुमित तमाम केंद्रीय मंत्री, भाजपा और एनडीए शासित 20 राज्यों के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम शामिल होंगे। इसके अलावा उद्योगपति, फिल्म स्टार, क्रिकेट खिलाड़ी, साधु संत और राजनयिक भी आएंगे। दिल्ली के 12 से 16 हजार लोगों को भी बुलाया गया है।
मुख्यमंत्री की रेस में 6 नामें शामिल हैं
भाजपा अपने मुख्यमंत्री के नाम को लेकर हमेशा चौंकाती आई है। पार्टी सभी राजनीतिक प्रयासों को किनारे करते हुए संगठन के पुराने चेहरों को प्रदेश की कमान सौंपती है। इसके बावजूद 6 विधायकों के नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने 15 विधायकों के नाम निकाले हैं। उनमें से जो नाम शॉर्टलिस्टेड किए गए हैं। इन्हीं 9 नाम में से CM, कैबिनेट मंत्री और स्पीकर के नाम तय किए जाएंगे। दिल्ली मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 7 मंत्री हो सकते हैं। ऐसे में चर्चा है कि दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों से एक-एक भाजपा विधायक को चुना जा सकता है। Bihar और Punjab चुनाव के अलावा जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इन्हें चुना जाएगा।