भारत में पहली बुलेट ट्रेन महाराष्ट्रा के मुंबई से अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर पर चलने वाली थी , लेकिन जापान के Shinkansen बुलेट ट्रेनों के सौदें में अधिक देरी हो रही है। इस बात की चिंता में विदेश मंत्रलाय ने एक विशेष फैसला लिया है।
सिग्नलिंग सिस्टम के लिए निविदा का आमंत्रण
मंत्रालय ने एक सिग्नलिंग सिस्टम के लिए निविदाएं आमंत्रित की है जिसमे वंदे भारत ट्रेनों को इस कॉरिडोर पर 280 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलने की अनुमति देगा। ऐसे में जब तक Shinkansen ट्रेनें भारत नहीं आती हैं, तब तक इस सेक्शन पर हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा सकती हैं।
देसी बुलेट ट्रेन वंदे भारत
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHRSCL) ने पिछले हफ्ता ही बुलेट ट्रेन कॉरिडोर पर वन्दे भारत ट्रेन के लिए सिग्नलिंग सिस्टम की निविदा निकाली गई थी। निविदा दस्तावेज में सफल बोलीदाता को सिग्नलिंग और ट्रेन नियंत्रण प्रणाली का डिजाइन, निर्माण, सप्लाई, इंस्टॉल और मैंटेनेंस करना होगा। यह यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (ETCS) लेवल-2 होगी।
2027 में बुलेट ट्रैन की तेजी से दौड़ने लगेंगी वंदे भारत
ईटीसीएस-2 के लिए कॉन्ट्रैक्ट अवधि सात वर्ष तक है। सूत्रों में कहा कि कॉरिडोर पर ईटीसीएस-2 के डिप्लॉयमेंट से इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग सुनिश्चित होगा। इस ट्रैक पर वंदे भारत ट्रेनों को 2027 में शुरू करने की योजना है।
जापानी बुलेट 2033 तक आएगी
रेल मंत्रालय ने वादा किया था कि Shinkansen बुलेट ट्रेनें अगस्त 2026 तक सूरत-बिलिमोरा सेगमेंट पर शुरू हो जाएंगी लेकिन अब यह सिद्ध हो गया है ये हाई स्पीड स्पेशल ट्रेनें साल 2030 से पहले वास्तविकता नहीं बनने वाली हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पूरे कॉरिडोर पर Shinkansen ट्रेनों का संचालन साल 2033 से पहले संभव नहीं होगा.
अब देखना यह है की 2027 तक वन्दे भारत बुलेट ट्रेंनों की बराबरी कर सकेगा या हम सभी को 2033 का इंतज़ार करना होगा।